रविवार, 11 अक्तूबर 2015

जिला प्रशासन को खुला पत्र

सेवा में,
श्रीमान् जिलाधीश महोदय,
रायपुर, छत्तीसगढ़
विषय :-  आस्था की आड़ में हो रही हुल्लड़बाजी पर कड़े कदम उठाने बाबत~A
महोदय,
                 पूरे शहर में त्योहार का वातावरण देखा जा सकता है। 10 दिनों के भीतर फिर से हर चौक-चौराहे, गली-मोहल्ले में पंडाल लगने का दौर शुरू हो चुका है। इस साल तो भक्तों ने अपनी सुविधानुसार गणेशजी को 11, 12 से लेकर 15 दिन तक अपने पास रखा। 'सुविधानुसार' इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि गणेशजी का विसर्जन होने या न होने का सीधा संबंध अब DJ  की उपलब्धता से हो गया है। हमारे शहर में DJ  वालों की संख्या उतनी नहीं है, जितनी संख्या चंदा-चकारी करके गणेशजी को बिठाने वाले पंडालों की है। इसलिए जिसे जब DJ  की बुकिंग मिलती है तब विसर्जन की तैयारी शुरू होती है, भले ही इसमें 2-4 दिन और लग जाएं (क्योंकि पैसा तो उनकी जेब से नहीं जा रहा, वो तो चंदा करके आ ही गया है)।
      पहले गणेशजी 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' और 'एक-दो-तीन-चार, गणपति की जय-जयकार' जैसे नारों के साथ विसर्जित होने जाते थे, पर बदले दौर में आज लोग DJ  वाले बाबू से अपना पसंदीदा गाना बजाने की ख्वाहिश करते हैं, फिर '4 बोतल वोडका, काम मेरा रोज़ का', '4 बज गए लेकिन पार्टी बाकी है' और 'अभी तो पार्टी शुरू हुई है' जैसे नारों, माफ़ कीजिए गानों (नारा तो आप लगा ही नहीं सकते) के साथ 6-8 घंटे शहर के मुख्य मार्गों से उत्पात मचाते हुए नदी के तट तक पहुंचते हैं।
      महोदय, गणेश पर्व मनाने की परंपरा 300 साल से ज्यादा पुरानी है। इस प्रथा की शुरुआत शिवाजी ने 1630-80 में की थी। जैसा हम सब जानते हैं, बदलते समय के साथ बहुत कुछ बदलता है और गणेश बिठाने की प्रथा इससे अछूती नहीं है। 1892-93 में लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने अपने अख़बार 'केसरी' में गणेश पर्व को एक ऐसे त्योहार के रूप में मनाने की बात कही, जिसमें हर जाति-धर्म के लोगों की भागीदारी हो, जिससे सामाजिक सौहार्द बना रहे और लोगों का आपस में मेल-जोल बढे़। लेकिन, आज के समय में अधिकांश जगहों पर गणेशजी को विराजमान करने के पीछे 15 दिन की मस्ती-अय्याशी प्रमुख कारण हो गए हैं।
      मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि जिस प्रकार दिवाली के पूर्व फटाका लगाने वालों को एक निश्चित स्थान पर जगह आवंटित कर दी जाती है, उसी प्रकार अगले वर्ष से आप ऐसी व्यवस्था करने का कष्ट करें जिसमें गणपति बिठाने वालों को एक मैदान में जगह दे दी जाए, जहां वो एक व्यवस्थित तरीके से गणेश बिठाएं। इससे लोगों में मेल-जोल भी बढ़ेगा, जिसकी कल्पना कर तिलकजी ने इस प्रथा की शुरुआत की थी। साथ ही, सड़क पर लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिलेगी। पंडाल के आस-पास के रहवासी जो 11-12 दिनों तक लाउडस्पीकर की आवाज की वजह से चैन से सो/बैठ नहीं पाते, उन्हें भी सुविधा होगी। गणेश स्थापना की वजह से पुरे  शहर में भारी मात्रा में पुलिस बल को तैनात किया जाता है । उपरोक्त व्यवस्था बनाने से पुलिस विभाग को भी सुविधा होगी।
      मैं आपका ध्यान DJ  से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की ओर ले जाना चाहता हूं। महोदय, ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार शहर को साइलेंट जोन, रेजिडेंशियल जोन, कमर्शियल जोन और इंडस्ट्रियल जोन में बांटा जाता है जिसमें अलग-अलग जगह के लिए निर्धारित डेसिबल से ज्यादा ध्वनि उत्पन्न होने पर उसे प्रदूषण की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे में रात 9 से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर के चलने पर पाबन्दी रहती है।  भक्तगण अपने-अपने पंडालों से लेकर नदी के तट तक बड़े-बड़े बम फोड़ते, पानी पाउच उड़ाते, गन्दगी फैलाते हुए पहुंचे। मुझे बताते हुए बड़ा दुःख हो रहा है कि पिछले दिनों सप्ताह भर चले गणेश विसर्जन के दौरान पूरी-पूरी रात विभिन्न पंडालों के युवक DJ  बजाते हुए, जिसकी आवाज निर्धारित पैमाने से कई गुना ज्यादा थी, मुख्य मार्गों से (जिसमें रिहायशी इलाके भी आते हैं) होते हुए महादेव घाट तक पहुंचे। ये वही लोग हैं जो खुद सडकों में, गली-मोहल्लों में गन्दगी करते हैं और फिर नगर निगम पर सफाई करवाने का आरोप लगाते हैं
      मेरी तरह हजारों शहरवासियों को एक सप्ताह तक चले विसर्जन के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ा। जिस सड़क, जिस बस्ती, जिस मोहल्ले से गुजर जाइए, लोगों को  हर तरफ सड़क जाम का ही सामना करना पड़ा। परेशानी झेलने वालों में बूढ़े, बच्चे, बीमार सभी शामिल हैं। जेहन में सवाल आ रहा था कि शासन-प्रशासन नाम की चीजें यहां मौजूद हैं भी या नहीं। कोई रोकने वाला नहीं, कोई टोकने वाला नहीं। आम जनता में से किसी ने टोकने की हिमाकत भी नहीं की, क्योंकि नशे में धुत्त और DJ  के शोर में नाच रहे लोगों को बोलकर कुछ भी हासिल होने से रहा। अगर उनमें इतनी ही समझ होती तो शायद वो जो कर रहे थे, वो करते ही नहीं। उनके मुंह लग कर केवल बेइज्जती और निराशा ही हाथ आनी है। महोदय अगले हफ्ते से नवरात्री प्रारम्भ होने वाली है, शहरभर में माँ दुर्गा की स्थापना की जाएगी और जगह-जगह रास गरबा का भी आयोजन होगा मुझे लगता है जिस स्थिति से शहरवासियों को 10 दिन पहले गुज़ारना पड़ा अगले हफ्ते से फिर उन्हें उन्ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। अतः मेरी आपसे विनती, प्रार्थना, निवेदन है कि दैनिक जीवन की इन समस्याओं पर कुछ ठोस कदम उठाएं ताकि अगले वर्ष से जनता को इन सब फिजूल की परेशानियों से निजात मिले।
      धन्यवाद
प्रतिलिपि
1.  माननीय महापौर महोदय, नगर पालिक निगम रायपुर (छत्तीसगढ़)
2.  श्रीमान आयुक्त  महोदय, नगर पालिक निगम रायपुर (छत्तीसगढ़)
3.  श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय, रायपुर (छत्तीसगढ़)

                                                                            हर्ष  दुबे                            
दिनांक: 10-10-2015
     भूतपूर्व छात्र भारतीय जनसंचार संस्थान
  (IIMC)
, नई दिल्ली

    Email:- harshdubey.dubey@gmail.com