26/11 एक ऐसी तारीख है जो हम सभी भारतियों को और जिन विदेशियों ने
अपनों को गंवाया उन्हें जीवनपर्यन्त याद रहेगी. आज ही के दिन 7 वर्ष पहले मनुष्य ने
साबित कर दिया की संसार में मनुष्य के वेश में दरिंदे/हैवान भी रहते हैं.
हम मनुष्य दम्भ भरते हैं की हमने पुण्य
किया होगा जो 84000 योनियों में से हमने मनुष्य योनि में जन्म लिया. पर ईश्वर भी इस
संसार में जन्म लिए मनुष्य रुपी दरिंदे/हैवान को देख कर दुखी, हताश, निराश होता होगा.
ईश्वर के मन में भी ख्याल आते होंगे कि 84000 योनियों में जिस योनि को मैं सर्वश्रेष्ठ
मानता हूँ उसमें आज ऐसे दरिंदे भी शामिल हैं. ऐसे लोगों को देख कर स्वयं प्राणदाता
कि आँखें झुक जाती होंगी. जब जान देना ऊपर वाले का अधिकार है तो जान लेने का भी अधिकार उसी
का है, हम मनुष्य होते कौन हैं ये निर्णय लेने वाले कि कौन जियेगा और कौन नहीं? पर
यह सब बातें उन्हें समझ आने से रही, जो निहत्थे, बेगुनाह, मासूमों को मारने तैयार हो
जाते हैं.
अभी भी दुनिया के किसी कोने में कोई हफ़ीज़ सईद होगा जो किसी कसाब को दीन कि रक्षा करने का पाठ पढ़ा रहा होगा, कोई बघदादि भी होगा कोई तालिबानी भी होगा. मुझे तो आश्चर्य होता है वे कैसे बेग़ैरत लोग होते होंगे जिनके दिमाग में ऐसे भरा जाता होगा और उनसे ज्यादा वे लोग जो इसकी अगुवाई करते हैं. इंसान आज वाकई में निर्दयी हो चुका है, ना उसे किसी का खौफ है न मलाल. 7 वर्ष पहले मुंबई में 20-22 साल के 5-6 लड़कों ने बंदूक की नोख पर सैकड़ों बेगुनाहों, मासूमों को मौत कि नींद सुला कर यह दिखा भी दिया.क्या महिला, क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान जिस निर्ममता से उन्होंने उस घटना को अंजाम दिया, उसमें सोचनीय यह है की कोई इंसान किसी दूसरे इंसान को इस प्रकार का प्रशिक्षण कैसे दे सकता है. इन हत्यारों का ना कोई धर्म होता है और ना कोई ईमान, ये केवल अपना व्यक्तिगत स्वार्थ साधने के लिए लोगों को बरगलाते हैं. आज पूरे विश्व में इसी प्रकार का वातावरण निर्मति हो चुका है, मानवता तो केवल भाषण/लेखन में प्रयोग होने वाले शब्दों तक सिमित हो चुकी है.
कहा जाता है की 95% दिमाग
वालों की अपेक्षा 5% बद्दिमग समाज के लिए ज्यादा हानिकारक हैं, आज पूरा विश्व इसी विपदा
से जूझ रहा है, इन्हीं बद्दिमग लोगों की वजह से कलह झेल रहा है जिसके वजह से हर रोज
सैकड़ों लोग अपनी जान गवां रहे हैं. वे 5% ही आज पूरे विश्व के लिए चुनौती बनकर खड़े
हैं.
बंदूक, हथियारों से बात करने वाले ये लोग ना जाने कब शांत होंगे,
किसके कहने से शांत होंगे.
मेरी बस इतनी सी प्रार्थना है : "रघुपति राघव राजा राम, 'उनको' सन्मति दे भगवान".
26/11/2008 को अपनी जान गंवाने वाले मासूमों को, बेगुनाहों को, जवानों को, जाबाज़ों को श्र्द्धांजलि.
26/11/2008 को अपनी जान गंवाने वाले मासूमों को, बेगुनाहों को, जवानों को, जाबाज़ों को श्र्द्धांजलि.